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Bharat Mata, Mother India, My Mother Land

Bharat Mata, Mother India, My Mother Land

पुण्य भूमि है धरती अपनी
भारत माता के गीत सब गाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
हर कन्या इस देश की सीता,
हर बालक कृष्ण सलोना
धरती अपनी अन्न जल देती
महकता हर आँगन हर कोना
सब मिल करे है भारत माँ का वंदन
उच्च स्वर में सब गुनगुनाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
धरती सुनहरी अम्बर नीला
यहाँ बहती गंगा यमुना सरस सलिला
खुशिया है बाँटता हर शहर हर गाँव रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
बहुत कुछ पाया इस देश से हमने
जीवन की हर खुशिया और हर रंग
दिया देश ने हमको क्या जवानी क्या बचपन की छाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….

रवि कुमार “रवि”

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कब बाधाये रोक सकी है
हम आज़ादी के परवानो की
न तूफ़ान भी रोक सका
हम लड़ कर जीने वालो को
हम गिरेंगे, फिर उठ कर लड़ेंगे
ज़ख्मो को खाए सीने पर
कब दीवारे भी रोक सकी है
शमा में जलने वाले परवानो को
गौर ज़रा से सुन ले दुश्मन
परिवर्तन एक दिन हम लायेंगे
ये हमले, थप्पड़ जूतों से
हमको पथ से न भटका पाएंगे
ये ओछी, छोटी हरकत करके
हमारी हिम्मत तुम और बढ़ाते हो
विनाश काले विपरीत बुद्धी
कहावत तुम चरितार्थ कर जाते हो
जब लहर उठेगी जनता में
तुम लोग कभी न बच पाओगे
देख रूप रौद्र तुम जनता का
तुम भ्रष्ट सब नतमस्तक हो जाओगे
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रवि भद्र “रवि”

द्वापर युग कृष्ण रूप में जन्मे
त्रेता में तुम जन्मे बनकर राम
पुनः जन्म लो इश्वर फिर से,
लेकर कोई नाम
धर कर कोई नाम धरती पर
महाभारत सा खेल रचाओ
भारत माँ की लुटती अस्मत
हे कृष्ण हे राम बचाओ
सत्ता पर बैठे दुस्शाशन
फिर से नारी का चीर हरे है
राष्ट्रद्रोही लोगो की झमघट से
सत्ता सिंहासन अटे पड़े है
पुनः धरो तुम रूप राम का
या फिर चक्र सुदर्शन लाओ
इस पुण्य भूमि के हित को
पुनः अर्जुन को गांडीव थमाओ
दो श्री राम आशीष हमें हम
हनुमान सी ताकत पाएं
ढा शत्रु की लंका फिर से
भारत माँ की लाज बचाएँ
आतताइयों के हाथ अब
मस्तक तक पहुँच रहे है
मस्तक कटे धड वीरो के
अब प्रतुत्यर मांग रहे है
ध्रितराष्ट्र सा अंधापन
भारत में फिर से दीख रहा है
कृष्ण राह दिखलायेंगे क्या फिर से
हर भारतवंशी अर्जुन पूछ रहा है
द्वापर युग कृष्ण रूप में जन्मे
त्रेता तुम जन्मे बनकर राम
पुनः जन्म लो इश्वर फिर से
लेकर कोई नाम
……………………..
जय श्री राम
रवि कुमार ” रवि”

हम तेरी महफ़िल बस
एक कडवा सच बताने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखाने आये है
रो रही माँ भारती
बिलख बिलख कर
तू जागता क्यों नहीं ऐ नौजवा
माँ भारती का जो है चीर हरते
वो दुशाशन तुझको दिखाने आये है
अब तेरी मर्ज़ी जो हो
वोही तू समझ ले ऐ नौजवान
चाहे बचा ले राष्ट्र अपना
चाहे भुला दे राष्ट्र हित को तू
तेरी बहती नसों में जो आग है
उसकी तपिश तुझको दिखाने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखने आये है
……………
रवि कुमार “मुज़फ्फ़रनगरी”