मेरे शब्द,कलम की ज्वाला
फिर से धधक गयी है
रक्त शिरा भी फूट रहे है
शिरा शिरा भी उबल गयी है
जाग उठा महाकाल हृदय में
फिर अंगार लिखूंगा
तलवार बना कलम
शब्द को भाला हाहाकार लिखूंगा
आयु तरुण से पढ़ते है
नेहरू गांधी की अमर कहानी
भूल गए उस गौरा बादल को
जो नाचे रन में
बन महाकाल और भवानी
थू है हम पर हमने
उन वीरो को है बिसराया
जिसने रक्त हाड़ मांस गलाकर
था अपना मान बचाया।
कसम मुझे उस मात भवानी
फिर शब्द आग रचूंगा
महाराणा गौरा बादल से वीरों का
ही केवल गुणगान लिखूंगा ।
——–
रवि कुमार “रवि”
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फिर अंगार लिखूंगा
Posted: August 15, 2018 in Veer RasTags: hindi hasya kavita, hindi hasya ras kavita gallery, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems
हे राम तेरी ही धरती पर, अब तेरा कोई काम नही
Posted: January 30, 2016 in Veer RasTags: hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, krodh ras, patriotic, patriotic hindi poems, patriotic quotes, patriotic songs, veer ras kavita, Veer Ras Kavita in Hindi Langauge, Veer Ras ki Kavita, veer ras ki kavitayen
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान।
Posted: April 18, 2015 in General, Veer Ras, VyangTags: hindi kavitayein, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, navras nine emotions, patriotic, poems, poems on Veer Ras Subject, Prithviraj Chauhan, Prithviraj Chauhan Hindi Kavita, Veer Ras, Veer ras for you, veer ras kavita, Veer Ras Kavita in Hindi Langauge, veer ras kavita Prithviraj Chauhan, Veer Ras ki Kavita
चन्दन है इस देश की माटी इसका तिलक लगाओ रे
Posted: April 4, 2015 in Veer RasTags: Hindi, hindi hasya kavita, hindi hasya ras kavita gallery, HINDI KAVITA, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, karun ras kavita, navras nine emotions, patriotic poems in hindi, patriotic songs in hindi, shringar ras kavita, shringar ras ki kavita, Veer Ras, veer ras kavita, veer ras ki kavitayen, Vyang Kavita in Hindi
पुण्य भूमि है धरती अपनी
भारत माता के गीत सब गाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
हर कन्या इस देश की सीता,
हर बालक कृष्ण सलोना
धरती अपनी अन्न जल देती
महकता हर आँगन हर कोना
सब मिल करे है भारत माँ का वंदन
उच्च स्वर में सब गुनगुनाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
धरती सुनहरी अम्बर नीला
यहाँ बहती गंगा यमुना सरस सलिला
खुशिया है बाँटता हर शहर हर गाँव रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
बहुत कुछ पाया इस देश से हमने
जीवन की हर खुशिया और हर रंग
दिया देश ने हमको क्या जवानी क्या बचपन की छाओ रे
चन्दन है इस देश की माटी
इसका तिलक लगाओ रे ……………….
रवि कुमार “रवि”
तय कर लो !! जाना किधर है
Posted: January 15, 2014 in GeneralTags: HINDI KAVITA, hindi kavitayein, hindi poems, Hindi Poems on Motivation, Motivation Hindi Kavita
तय कर लो !!
जाना किधर है
एक तरफ
काँटों का रास्ता पर
तरफ दूसरी उजाले
की चमक है
सोच लो चलना किधर है
एक तरफ
नरम घांस सा रास्ता
तरफ दूसरी अँधेरे
का असर है
पसंद तुम्हारी
देगा तुम्हे
रास्ता नया
या बरबादियो
का मंज़र
एक तरफ
तरफ एक पल
का दर्द मगर
उम्र भर का
सुख है
तो तरफ दूसरी
कुछ पलों
की खुशिया
तरफ दूसरी
तमाम जिंदगी
भर का ग़म है
तय कर लो !!
जाना किधर है
……………….
रवि कुमार “रवि”
शब्दों के बुन मैं जाल यहाँ इतिहास बनाने निकला हु
Posted: December 27, 2013 in Veer Ras, VyangTags: hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, patriotic hindi poems, poems on Veer Ras Subject, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, Veer Ras ki Kavita, veer ras ki kavitayen
जहाँ कलम पड़ी रहती सत्ता के गलियारों में
जहाँ शब्द भी बिक जाते चंद सिक्को की झंकारों में
उस भारत की धरती पर अग्निशिखा जलने निकला हु
शब्दों के बुन मैं जाल यहाँ इतिहास बनाने निकला हु
नेता हो, अभिनेता हो यहाँ सब अपने मद जीते है
नही राष्ट्र की फिकर इन्हें ये लहू देस का पीते है
इन सत्ता के लत्खोरो को इनकी औकात बताने निकला हु
अपने शब्दों से आग लगा इनकी चिता जलने निकला हु
शब्दों के बुन मैं जाल यहाँ इतिहास बनाने निकला हु
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रवि कुमार “रवि”
लिखने को तो मैं भी रस, छंद अलंकार लिख दू
Posted: October 20, 2013 in Veer Ras, VyangTags: Bhagat Singh, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, patriotic hindi poems, patriotic poems in hindi, poems on Veer Ras Subject, Veer Ras Kavi, veer ras kavita, Veer Ras ki Kavita, veer ras ki kavitayen
लिखने को तो मैं भी
रस, छंद अलंकार लिख दू
वासना में डूबा हुआ
मैं प्यार लिख दू
मुझमे भी है बाकि अभी
कुछ इश्क की बारीकिया
गर कहो तो शब्दों में मैं
अपनी दिल की हर बात लिख दू
पर तुम बताओ साथिओ
क्या मुल्क के ऐसे हालात है
के तज के खडग हाथो से अपने
प्रेमिका का अपने श्रृंगार कर दू
देती नहीं मुझे इजाज़त
मेरे मुल्क की वीरानिया
ऐसे में छोड़ कर वीर रस
कैसे मैं श्रृंगार और मनुहार लिख दू
………………..
रवि कुमार “रवि”
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
Posted: October 17, 2013 in Veer RasTags: hindi kavita hasya, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, krodh ras, Veer Ras, Veer ras for youth, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, Veer Ras Kavita in Hindi Langauge, Veer Ras ki Hindi Kavita, veer ras ki kavitayen, Vyang Kavita in Hindi
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
कब तलक में रहूँगा इन सरहदों की बंदिशों में
तोड़ अपनी बंदिशों, हदों को झिनझोड़ना चाहता हु
है एक तरफ कोई नापाक
तो दूसरी तरफ चीन का ये झुनझुना है
इधर अपना कश्मीर है बदतर
उधर केरल असम तक जल रहा हैं
अपनी धधक से इस आग को बुझाना चाहता हु
पाक हो या चीन मिटटी में मिलाना चाहता हूँ
अब मैं फिर ऊँची परवाज़ भरना चाहता हूँ
दिल्ली, इस्लामाबाद से बीजिंग तलक
सारी हदों को जोड़ना चाहता हु
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
एक भगवे के तले फिर से खड़ी होगी दुनिया
अखंड भारत के स्वप्न को इक बार फिर जीना चाहता हूँ
हर मुल्क, हर देश को खुद में समेटना चाहता हु
अमरीका हो या जर्मन सबको बताना चाहता हूँ
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
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रवि कुमार “रवि”
भ्रष्टाचार से एक मुलाकात
Posted: August 4, 2013 in VyangTags: Corruption, Corruption in India, funny poems on corruption in hindi, hindi kavitayein, hindi poems, humorous poem on corruption, indian patriotic poems, poem on anti corruption, Poem on Corruption, poems on corruption in english, poems on corruption in hindi, Poems on corruption in hindi for kids, poems on corruption in hindi language, short poems on corruption, short poems on corruption in hindi, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, Veer Ras ki Kavita, veer ras ki kavitayen, vyang, Vyang Kavita in Hindi
एक रोज़ मैं स्कूटर पर स्वर होकर चला आ रहा
था सामने से देखा भ्रष्टाचार चला आ रहा था
मैंने हाथ जोड़े बोल भाई भ्रष्टाचार नमस्कार
भ्रष्टाचार ने भी तुरंत दिखाया शिष्टाचार
बोला नमस्कार भाई नमस्कार
अपनी बातों को कुछ आगे बढ़ाते हुए
भ्रष्टाचार को अपनी बातों में उलझाते हुए
मैंने पुछा भाई भ्रष्टाचार ये क्या कर रहे हो
पिछले 68 वर्षो से इस देश को लगातार चर्र रहे हो
ये बताओ कब प्रस्थान कर रहे हो
भ्रष्टाचार तुरंत बोला मुझसे
नहीं नहीं ऐसा न कहो मित्र
में इस देश के भ्रष्ट
डॉक्टर, इंजिनियर और नेता का कर्णधार हु
सच कहु तो में ही उनका कर्म और व्यापार हु
इस देश के भ्रष्टो ने ही तो
मुझे निमंत्रण देकर बुलवाया है
तभी तो इस देश पर पर एक छत्र राज आया है
में जो चला गया यहाँ से
तो सभी भ्रष्ट नेता, डॉक्टर, इंजिनियर
अभावों में घिर जायेंगे
ये सभी एक दिन आपको
गरीबी की नाली में पड़े पाएंगे
मेरी भोंहे तन गई चेहरा गुस्से से
लाल हो गया मैं बोला
ये देश सुभाष भगत आज़ाद का है
ये देश राम, कृष्ण के अवतार का है
जिस दिन इस देश का नौजवान जागेगा
भ्रष्टाचार तू तो क्या तेरा बाप भी
मेरा देश छोड़ कर भागेगा
भ्रष्टाचार मुझसे इतरा कर बोल
मित्र जिस दिन इस देश का नौजवान जाग जायेगा
तेरे देश में “रवि” पुनः रामराज लौटकर आएगा
तब तक बैठे रहो यहाँ
और वक्त का इंतज़ार करो
तब तक तुम्हारा ये मित्र भ्रष्टाचार
अपना व्यापार कुछ और बढ़ाएगा
कुछ और बढ़ाएगा .. कुछ और बढ़ाएगा
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रवि कुमार “रवि”
हम तेरी महफ़िल बस एक कडवा सच बताने आये है
Posted: May 25, 2013 in Veer Ras, VyangTags: hindi kavitayein, Hindi Poetries, Hindi Sahitya, Huge collection of Veer Ras Poems, meri kavitayein, patriotic hindi poems, poems on Veer Ras Subject, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, Veer Ras ki Kavita, veer ras ki kavitayen
हम तेरी महफ़िल बस
एक कडवा सच बताने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखने आये है
रो रही माँ भारती
बिलख बिलख कर
तू जागता क्यों नहीं ऐ नौजवा
माँ भारती का जो है चीर हरते
वो दुशाशन तुझको दिखाने आये है
अब तेरी मर्ज़ी जो हो
वोही तू समझ ले ऐ नौजवान
चाहे बचा ले राष्ट्र अपना
चाहे भुला दे राष्ट्र हित को तू
तेरी बहती नसों में जो आग है
उसकी तपिश तुझको दिखाने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखने आये है
……………
रवि कुमार “रवि”