जो फिक्र राष्ट्र की करते है
वो नहीं किसी से डरते है
हंस कर सूली चढ़ते है
शत्रु भी उनसे डरते है
वो लहू युवा ही होता है
जिसने गर्म लहू संचार किया
भारत माँ को अपना शीश चढ़ा
भारत माँ का था श्रन्गार किया
अशफाक़ आज़ाद हो सुखदेव भगत
हर ने अल्हड बेबाक अंदाज़ जिया
फांसी के फन्दे चूम उठे
भारत माँ पर सब कुछ वार दिया
क्युकी जो फिक्र राष्ट्र की करते है
वो नहीं किसी से डरते है
हंस कर सूली चढ़ते है
शत्रु भी उनसे डरते है
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आपका अपना
रवि कुमार “रवि”
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जो फिक्र राष्ट्र की करते है वो नहीं किसी से डरते है
Posted: September 20, 2014 in Veer RasTags: hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, patriotic, patriotic hindi poems, patriotic songs in hindi, poems on Veer Ras Subject, poets, shringar ras poems in hindi, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, veer ras ki kavitayen, Vyang Kavita in Hindi
पुनः जन्म लो इश्वर फिर से लेकर कोई नाम
Posted: January 10, 2013 in Veer Ras, VyangTags: Hindi, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, karun ras kavita, krodh ras, patriotic hindi poems, patriotic quotes, poem on karun ras in hindi, poems, poets, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection
द्वापर युग कृष्ण रूप में जन्मे
त्रेता में तुम जन्मे बनकर राम
पुनः जन्म लो इश्वर फिर से,
लेकर कोई नाम
धर कर कोई नाम धरती पर
महाभारत सा खेल रचाओ
भारत माँ की लुटती अस्मत
हे कृष्ण हे राम बचाओ
सत्ता पर बैठे दुस्शाशन
फिर से नारी का चीर हरे है
राष्ट्रद्रोही लोगो की झमघट से
सत्ता सिंहासन अटे पड़े है
पुनः धरो तुम रूप राम का
या फिर चक्र सुदर्शन लाओ
इस पुण्य भूमि के हित को
पुनः अर्जुन को गांडीव थमाओ
दो श्री राम आशीष हमें हम
हनुमान सी ताकत पाएं
ढा शत्रु की लंका फिर से
भारत माँ की लाज बचाएँ
आतताइयों के हाथ अब
मस्तक तक पहुँच रहे है
मस्तक कटे धड वीरो के
अब प्रतुत्यर मांग रहे है
ध्रितराष्ट्र सा अंधापन
भारत में फिर से दीख रहा है
कृष्ण राह दिखलायेंगे क्या फिर से
हर भारतवंशी अर्जुन पूछ रहा है
द्वापर युग कृष्ण रूप में जन्मे
त्रेता तुम जन्मे बनकर राम
पुनः जन्म लो इश्वर फिर से
लेकर कोई नाम
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जय श्री राम
रवि कुमार ” रवि”
मैं साहित्यकार नही हूँ
Posted: November 20, 2012 in VyangTags: hindi hasya ras kavita gallery, hindi kavitayein, indian patriotic poems, patriotic hindi poems, poets, Veer Ras Hindi Poems collection
मैं साहित्यकार नही हूँ
गंभीर शब्दों का जानकार नहीं हूँ
बस हो जाता है जब मन
थोडा भारी, थोडा परेशा सा
मन की भावनाओ को लिख लेता हूँ
अपने आंसू खुद ही पी लेता हूँ
मैं इतना ज्ञानवान नहीं हूँ
मैं कोई साहित्यकार नही हूँ
रोते देखता हूँ
अपनी भारत माँ को
बच्चो को और युवाओ को
खून उतर आता है जब
आँखों में मेरी
तो अपने लहू से भीगे
शब्दों को ही कलम बना लेता हूँ
अपने हाथो से अपने ज़ख्मो
को सी लेता हूँ
पर मैं गुनेहगार नहीं हूँ
में कोई साहित्यकार नहीं हूँ
अक्सर ही जब देखता हूँ
हताश युवा
मुरझाया सा बचपन
सिसकता बुढ़ापा
और दिन बा दिन
बदतर होते हालात मुल्क के
तब अपनी झुन्ज्लाहट को
कागज़ पर निकाल लेता हूँ
खून के घूँट पी लेता हु
मैं कोई इतिहासकार नहीं हूँ
मैं कोई साहित्यकार नही हूँ
………….
रवि कुमार “रवि”
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे – विषधर दिखाने आये है
Posted: November 2, 2012 in Veer RasTags: Hindi, hindi hasya kavita, hindi kavita hasya, hindi kavitayein, hindi ki hasya kavita, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, krodh ras, patriotic, poems, poems on Veer Ras Subject, poets, ras, shringaar, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection, vyang
हम तेरी महफ़िल बस
एक कडवा सच बताने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखाने आये है
रो रही माँ भारती
बिलख बिलख कर
तू जागता क्यों नहीं ऐ नौजवा
माँ भारती का जो है चीर हरते
वो दुशाशन तुझको दिखाने आये है
अब तेरी मर्ज़ी जो हो
वोही तू समझ ले ऐ नौजवान
चाहे बचा ले राष्ट्र अपना
चाहे भुला दे राष्ट्र हित को तू
तेरी बहती नसों में जो आग है
उसकी तपिश तुझको दिखाने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखने आये है
……………
रवि कुमार “मुज़फ्फ़रनगरी”