कब बाधाये रोक सकी है
हम आज़ादी के परवानो की
न तूफ़ान भी रोक सका
हम लड़ कर जीने वालो को
हम गिरेंगे, फिर उठ कर लड़ेंगे
ज़ख्मो को खाए सीने पर
कब दीवारे भी रोक सकी है
शमा में जलने वाले परवानो को
गौर ज़रा से सुन ले दुश्मन
परिवर्तन एक दिन हम लायेंगे
ये हमले, थप्पड़ जूतों से
हमको पथ से न भटका पाएंगे
ये ओछी, छोटी हरकत करके
हमारी हिम्मत तुम और बढ़ाते हो
विनाश काले विपरीत बुद्धी
कहावत तुम चरितार्थ कर जाते हो
जब लहर उठेगी जनता में
तुम लोग कभी न बच पाओगे
देख रूप रौद्र तुम जनता का
तुम भ्रष्ट सब नतमस्तक हो जाओगे
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रवि भद्र “रवि”
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कब बाधाये रोक सकी है हम आज़ादी के परवानो की
Posted: July 12, 2014 in Veer RasTags: hasya ras ki kavita, Hindi, hindi hasya kavita, HINDI KAVITA, hindi kavita hasya, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, patriotic hindi poems, patriotic poems in english, patriotic poems in hindi, Veer Ras Hindi Poems collection, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, veer ras ki kavitayen, Vyang Kavita in Hindi
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
Posted: October 17, 2013 in Veer RasTags: hindi kavita hasya, hindi kavitayein, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, indian patriotic poems, krodh ras, Veer Ras, Veer ras for youth, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, Veer Ras Kavita in Hindi Langauge, Veer Ras ki Hindi Kavita, veer ras ki kavitayen, Vyang Kavita in Hindi
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
कब तलक में रहूँगा इन सरहदों की बंदिशों में
तोड़ अपनी बंदिशों, हदों को झिनझोड़ना चाहता हु
है एक तरफ कोई नापाक
तो दूसरी तरफ चीन का ये झुनझुना है
इधर अपना कश्मीर है बदतर
उधर केरल असम तक जल रहा हैं
अपनी धधक से इस आग को बुझाना चाहता हु
पाक हो या चीन मिटटी में मिलाना चाहता हूँ
अब मैं फिर ऊँची परवाज़ भरना चाहता हूँ
दिल्ली, इस्लामाबाद से बीजिंग तलक
सारी हदों को जोड़ना चाहता हु
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
एक भगवे के तले फिर से खड़ी होगी दुनिया
अखंड भारत के स्वप्न को इक बार फिर जीना चाहता हूँ
हर मुल्क, हर देश को खुद में समेटना चाहता हु
अमरीका हो या जर्मन सबको बताना चाहता हूँ
मैं हिंदुस्तान हूँ, अब दुनिया में फैलना चाहता हु
सरहदों के पार अब निकलना चाहता हु
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रवि कुमार “रवि”
शब्दों का जादूगर बन दुनिया को दिखलाने की
Posted: November 21, 2012 in GeneralTags: hindi kavita hasya, hindi kavitayein, hindi poems, kavita, Motivational Poems, navras nine emotions, Self Motivation, shringaar, shringar ras ki kavita, shringar ras poems in hindi, Veer Ras
हूँ में छोटा, नादान
और नहीं है अनुभव मुझे,
कुछ ख़ास लिखने का,
ना ही है सलीका भी
मुझे अपनी बात
प्रभावपूर्ण ढंग से कहने का
यहाँ तो है बहुत लोग
जो है विद्वान
और शब्दों के धनि भी है
पर फिर भी मुझ
नौसिखिये को नहीं है सहारा
कुछ सीखने का न
उन् जैसे शब्दों के धनि
विद्वान बनने का
तो सोचता हु
क्यों न छोड़ दू खुद को
इश्वर और
खुद के भरोसे
शायद यही तिरस्कार
मुझे सिखला दे कुछ जादूगरी
जीतने की दुनिया को,
और खुद को साबित कर एक दिन
शब्दों का जादूगर बन
दुनिए को दिखलाने की
………….
रवि कुमार “रवि”
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे – विषधर दिखाने आये है
Posted: November 2, 2012 in Veer RasTags: Hindi, hindi hasya kavita, hindi kavita hasya, hindi kavitayein, hindi ki hasya kavita, hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, krodh ras, patriotic, poems, poems on Veer Ras Subject, poets, ras, shringaar, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection, vyang
हम तेरी महफ़िल बस
एक कडवा सच बताने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखाने आये है
रो रही माँ भारती
बिलख बिलख कर
तू जागता क्यों नहीं ऐ नौजवा
माँ भारती का जो है चीर हरते
वो दुशाशन तुझको दिखाने आये है
अब तेरी मर्ज़ी जो हो
वोही तू समझ ले ऐ नौजवान
चाहे बचा ले राष्ट्र अपना
चाहे भुला दे राष्ट्र हित को तू
तेरी बहती नसों में जो आग है
उसकी तपिश तुझको दिखाने आये है
अस्तीनो में छुपे है जो सांप तेरे
वो विषधर दिखने आये है
……………
रवि कुमार “मुज़फ्फ़रनगरी”