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श्रृंगार लिखने वालो का
कोई तिरस्कार नहीं करता
और वीर रस के लेखो पर
कोई वाह नहीं करता]
प्यार इश्क विश्क की बाते
लोगो की बहुत सुहाती है
ज़ख़्मी शब्दों के घावो पर
देखो कोई उपचार नहीं लिखता
पर फिर भी में लिखता हु
लाल रंग की स्याही से
देश धर्म की रक्षा का मुझको
और कोई औजार नहीं दिखता
…………..
रवि कुमार “रवि”

जब सत्य निष्प्राण हो
विधर्मी का कल्याण हो
सत्य हो डरा हुआ
और असत्य को प्रणाम हो
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से डरो नहीं
जब शौर्य हो झुका हुआ
घुटनों पर टिका हुआ
दम तोड़ता हो न्याय जब
बैसाखियो पर खड़ा हुआ
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से से डरो नहीं
जब साथ में न मित्र हो
उनका व्यवहार भी विचित्र हो
चित्कारती धरा दिखे
और मान देश का खंड खंड हो
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से डरो नहीं
गगन तक न चिंघाड़ हो
और शत्रु को न ललकार हो
शीश काट आतताई का
और न माँ भारती की जयकार हो
तब तक वीर तुम रुको नहो
वीर तुम झुको नहीं
बहे क्यों न शोणित की नदी
पर युद्ध से डरो नहीं
युद्ध से डरो नहीं
……………
रवि कुमार “रवि”

howrah bridge of Kolkata

howrah bridge, Pride of Bengal, Bengali Culture

आओ तुम्हे बंगाल दिखा दू
भारत की संस्कृतिक प्राचीर दिखा दू
शांति – क्रांति का अद्भुत मिश्रण
ऐसी बंगाली तासीर दिखा दू
हर हिन्दुस्तानी को गर्व दिया है
वन्देमातरम का तर्ज दिया है
१६ वर्ष में चढ़ा जो फांसी
खुदीराम नाम का अल्ल्हड़ युवा दिया है
८ वर्ष में जिसने बाघ था मारा
कुल्हाड़ी वाला बाघा जतिन दिया है
खून के बदले जो देता आजादी
बाबु सुभाष एक बंगाली नाम दिया है
हरे कृष्ण नाम की सब जपते माला
पहला जपने वाला चैतन्य महाप्रभु दिया है
जिंदगी की रस्ते जब कोई साथ नही दे
तब एकला चोलो का मंत्र दिया है
हिन्दुस्तानी भारत को मेरे
संस्कृतिक एक इतिहास दिया है
आओ तम्हे बंगाल दिखा दू
एक भारत की अद्भुत तस्वीर दिखा दू
भारत की संस्कृतिक प्राचीर दिखा दू
शांति – क्रांति का अद्भुत मिश्रण
ऐसी बंगाली तासीर दिखा दू
……………….
रवि “मुज़फ्फरनगरी”
आमार बांग्ला – शोनार बांग्ला