जब सत्य निष्प्राण हो
विधर्मी का कल्याण हो
सत्य हो डरा हुआ
और असत्य को प्रणाम हो
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से डरो नहीं
जब शौर्य हो झुका हुआ
घुटनों पर टिका हुआ
दम तोड़ता हो न्याय जब
बैसाखियो पर खड़ा हुआ
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से से डरो नहीं
जब साथ में न मित्र हो
उनका व्यवहार भी विचित्र हो
चित्कारती धरा दिखे
और मान देश का खंड खंड हो
वीर तुम झुको नहीं
युद्ध से डरो नहीं
गगन तक न चिंघाड़ हो
और शत्रु को न ललकार हो
शीश काट आतताई का
और न माँ भारती की जयकार हो
तब तक वीर तुम रुको नहो
वीर तुम झुको नहीं
बहे क्यों न शोणित की नदी
पर युद्ध से डरो नहीं
युद्ध से डरो नहीं
……………
रवि कुमार “रवि”
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वीर तुम झुको नहीं युद्ध से डरो नहीं
Posted: November 18, 2012 in Veer RasTags: hindi poems, hindi veer ras kavita for youth, Huge collection of Veer Ras Poems, navras nine emotions, patriotic hindi poems, Patriotic Poems, patriotic songs, patriotic songs in hindi, poems, Poems on Nationalism, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection, veer ras kavita
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