एक कवी की उसी के ही तरीके से
जवाब देने की एक छोटी सी कोशिश
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सुना था मैंने नहीं कभी कवी ने
सूरज को धुन्दला बतलाया
थामी जिसने कलम की ताकत
उसका नहीं ज़मीर बिक पाया
पर अब हर मोड़ और हर नुक्कड़ पर
धोखे बाज़ खड़े है
पहन देश भक्ति का चोला
काले गद्दार खड़े है
ऐसे ऐसे कवी हुए है
जिनकी कलम में स्याही नहीं, लहू भरा था
अपनी कलम के बल पर जिसने
क्रांति का अग्नि पथ लिखा था
तेरे देश में देख रवि अब
ऐसे झूठे लेखक कवी खड़े है
सत्ता हथियाने की ललक में जिनके
ज़मीर धरती पर मुर्दों की तरह गड़े है
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सुना था मैंने नहीं कभी कवी ने सूरज को धुन्दला बतलाया
Posted: January 12, 2013 in Veer Ras, VyangTags: krodh ras, patriotic hindi poems, poem on karun ras in hindi, poems, poems on karun ras, shringar ras poems in hindi, Veer Ras, Veer Ras Hindi Poems collection, Veer Ras Hindi Poetry, Veer Ras Kavi, veer ras kavita, Veer Ras ki Kavita, Vyang in Hindi, Vyang Kavita in Hindi
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